Wednesday, February 14, 2018

वो फूल और खत ! (CX)

एक पुरानी किताब में तुम्हारा सालों पहले दिया हुआ गुलाब का फूल मिला I बेजान, रंग उड़ा हुआ, मुरझाया सा I  पर उसमें तुम्हारे प्यार की सुगंध अभी भी थी I  आज भी मुझे याद है, वो महक तुम्हारे इत्र की जब तुम पहली बार गले मिले थे I
  
उस गुलाब के फूल  के साथ तुम्हारा खत भी मिला I  संभालकर रखा था अब तक I  स्याही थोड़ी उड़ गई थी, पर तुम्हारे शब्द अभी भी अस्पृष्ट थे I  अकेली थी I अक्सर अकेली ही होती हूँ I  वो खत पढ़ा तुम्हारा I  लगा कोई साथ है अभी भी I  

जानते हो मेरा सबसे बड़ा डर क्या है - भीड़ में अकेला महसूस करना I  इसलिए अब मैं अकेले रहना ही पसंद करती हूँI  खुद से ही खुश, और कभी खुद से ही  खफ़ा I  किसी और के सहारे जीना या किसी और का सहारा बनना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल ही है I  आज खुश हूँ की तुम्हारा खत और फूल मिला I  शायद अब ये ही मेरा सहारा हैं I  


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