Sunday, April 15, 2018

चाय और उसमें से उड़ता धुआं ! (CXVII)

ऑफिस - मुझे  ऑफिस  जाना   पसंद  है l और  इसका  पूरा  श्रेय  उस   सुबह  वाली  ऑफिस  की  चाय  को   जाता  है l चाय  और  उसमें  से  उड़ता  धुआं l वो  पहला  घूँट  चाय  का , लगता  है  मानो  यही  जन्नत  हो l बिना  उस  चाय  के  काम  की  शुरुआत  नहीं  होती , दिन  की  शुरुआत  नहीं  होती l  और  चाय  भी  नायाब  होनी  चाहिए - कड़क , बिल्कुल सफ़ेद नहीं , इलाइची  और  अदरक  वाली l सामने  अगर  कोल्ड  ड्रिंक , द्राक्षासव, तरल-पदार्थ, आसव, पेय, मदिरा, शर्बत और  चाय  हो  तो  मैं  चाय  को  ही  चुनूंगी l चाय  सब  कुछ  है - सुबह  की  अंगड़ाई , शाम  की  गप -शप , रात  की  थकान l कोई  रूठे  तो  चाय , मज़ाक  तो  चाय , डेट  पे  चाय , दोस्ती  की  शुरुआत  है  चाय , ब्रेक-अप  पे  चाय l हर  सुख-दुःख  की  साथी  है  ये चाय l  

चाय  और  उसमें  से  उड़ता  धुआं - सच्चा  प्यार  तो  यही  है l  

Dharer, Himachal

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