हर साल की तरह आज फिर उनका जन्मदिन था I सोचा दूर हैं तो क्या हुआ , इस बहाने बात ही हो जाएगी I बहुत से ऐसे दोस्त हैं जिनसे साल में दो बारी ही बात होती है, एक उनके जन्मदिन पर और एक मेरे I
तो जब उन्हें जन्मदिन की बधाई दी, वो कहते, " बधाई किस बात कि I आज ज़िन्दगी से एक साल और कम हो गया I "
थोड़ी हैरानी हुई सुनकर पर मैंने कहा , " शुक्र है कि ज़िन्दगी का ये एक साल ठीक से बीत गया I " वो हँसे और कहते, " तुम क्या जानो कैसे बीता है ये एक साल I " कुछ सही नहीं था शायद I पहले ऐसे नकारात्मक तो नहीं थे वो I
मैंने सोचा और कहा , " शुक्र है ये साल अच्छे से बीत गया, और अगर नहीं बीता तो शुक्र है कि बीत गया I"
वो मुस्कुराये और बोले "समझदार हो गयी हो, कहाँ से सीखा है ? " क्या जवाब देती I बस इतना पता था कि ऐसे ही जन्मदिन आते गए, जाते गए, और सिखाते गए I
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