एक पुरानी किताब में तुम्हारा सालों पहले दिया हुआ गुलाब का फूल मिला I बेजान, रंग उड़ा हुआ, मुरझाया सा I पर उसमें तुम्हारे प्यार की सुगंध अभी भी थी I आज भी मुझे याद है, वो महक तुम्हारे इत्र की जब तुम पहली बार गले मिले थे I
उस गुलाब के फूल के साथ तुम्हारा खत भी मिला I संभालकर रखा था अब तक I स्याही थोड़ी उड़ गई थी, पर तुम्हारे शब्द अभी भी अस्पृष्ट थे I अकेली थी I अक्सर अकेली ही होती हूँ I वो खत पढ़ा तुम्हारा I लगा कोई साथ है अभी भी I
जानते हो मेरा सबसे बड़ा डर क्या है - भीड़ में अकेला महसूस करना I इसलिए अब मैं अकेले रहना ही पसंद करती हूँI खुद से ही खुश, और कभी खुद से ही खफ़ा I किसी और के सहारे जीना या किसी और का सहारा बनना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल ही है I आज खुश हूँ की तुम्हारा खत और फूल मिला I शायद अब ये ही मेरा सहारा हैं I
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