आजकल बिना कुछ लिखे नींद नहीं आती l शायद लिखकर ही मैं अपनी बात बयान कर पाती हूँ l मैं क्या सोचती हूँ , क्या समझती हूँ , क्या व्यक्त करना चाहती हूँ - यह और कोई समझे या ना समझे , ये कलम ज़रूर समझ जाती है l
मिली हूँ मैं बहुत से लेखकों से , किताबें भी बहुत सी पढ़ी हैं l अच्छे लेखक और अच्छी किताबें कुछ ही होती हैं l कुछ ही होती हैं जो आँख में आँसू और चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं l शायद वो किताबें दर्द से , दिल से लिखी गयी हैं l
मेरे लिए लिखना एक कला नहीं , खुदी से बात करने का ज़रिया है l लिखकर एक शांति , एक सुकून सा मिलता है l मानो दिन भर की सारी थकान , सारा चिड़ चिड़ापन इस कागज़ पर उतार दिया हो l मानो मेरा सारा दर्द इस कागज़ ने सुन लिया हो l
No comments:
Post a Comment